ख़ूब नाचते भूल के सर्दी ख़ूब नाचते भूल के सर्दी
ख़ूब समझते चाल आपकी ख़ूब समझते चाल आपकी
जीना चाहता हूँ , चाहत में मेरी जीना भूल गया ,चाहत में तेरी। जीना चाहता हूँ , चाहत में मेरी जीना भूल गया ,चाहत में तेरी।
है हंसी वो सूरत से , देखो यारों ख़ूब ॥ मगर बात से बदज़ुबां, वो कितना महबूब ॥ है हंसी वो सूरत से , देखो यारों ख़ूब ॥ मगर बात से बदज़ुबां, वो कितना महबूब ॥
अलाव की आग भी बुझी-बुझीसी रहती है... अलाव की आग भी बुझी-बुझीसी रहती है...
बरबस इश्क़ पे उम्र का तक़ाज़ा नही 'हम्द', बेशक़ आफ़ताबी है इसका रोमांच। बरबस इश्क़ पे उम्र का तक़ाज़ा नही 'हम्द', बेशक़ आफ़ताबी है इसका रोमांच।